ग़ुलज़ार हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार हैं। इसके अतिरिक्त वे एक कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक नाटककार तथा प्रसिद्ध शायर। गुलज़ार को वर्ष 2002 में सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष 2004 में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। गुलज़ार जी की नज़्में, ग़ज़लें शायरियाँ भी बहुत मशहूर है, पेश है कुछ चुनिंदा शायरियाँ आप के लिए।
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गुलज़ार साहब की 125+ सदाबहार शायरियां
बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है!
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❤ zindagi-gulzar-quotes ❤
लोग कहते है की खुश रहो,
मगर मजाल है की रहने दे।
गए थे सोचकर की बात बचपन की होगी,
मगर दोस्त मुझे अपनी तरक्की सुनाने लगे।
❤ 2 line gulzar shayari ❤
कौन कहता है हम झूठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत पूछ कर तो देखो।
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❤ zindagi gulzar quotes ❤
एक ना एक दिन हासिल कर ही लूंगा मंजिल.
ठोकरें ज़हर तो नहीं जो खा कर मर जाऊंगा।
❤ zindagi gulzar hai shayari ❤
अक्सर चुप रहने वाले प्यार बहुत करते हैं।।
❤ gul o gulzar ❤
दिल के रिश्ते हमेशा किस्मत से ही बनते है,
वरना मुलाकात तो रोज हजारों से होती है।
बेहिसाब हसरते ना पालिये,
जो मिला हैं उसे सम्भालिये।
❤ zindagi gulzar hai ❤
तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।
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ख़्वाहिशें कुछ कुछ
यूँ भी अधूरी रही
पहले उम्र नही थी
अब उम्र नही रही।
❤ gulzar thoughts ❤
इतना क्यों सिखाए
जा रही हो ज़िन्दगी..
हमें कौन सी सदियाँ
गुज़ारनी है यहाँ..
अहमियत दी तो खुद को कोहिनूर मानने लगे,
काँच के टुकड़े भी क्या वहम पालने लगे...
❤ gulzar motivational quotes in hindi ❤
एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं।
जैसे हमको पुकारता है कोई.
कल का हर वाक़िया था तुम्हारा,
आज की दास्ताँ है हमारी।
❤ gulzar shayari on zindagi ❤
मालूम होता है भूल गए हो शायद
या फिर..
कमाल का सब्र रखते हो।
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बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती।
❤ gulzar quotes hindi ❤
मिला है बिन माँगे किसी और को वो
हमें तो इबादत के बाद भी इंतज़ार ही मिला है !
आज तुमने एहसास करा ही दिया कि
मैं कुछ भी नहीं हूँ तुम्हारे लिये.. !!
❤ zindagi gulzar hai shayari ❤
ख़बर सबको थी मेरे कच्चे मकान की
फ़िर भी लोगो ने दुआओं में सिर्फ़ बरसात ही माँगी।
मिलता तो बहुत कुछ है ज़िन्दगी में
बस हम गिनती उन्ही की करते है जो हासिल न हो सका।
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यूं तो ऐ जिंदगी तेरे सफर से शिकायते बहुत थी
मगर दर्द जब दर्ज करने पहुंचे तो कतारें बहुत थी।
ये मोहब्बत के रिवाज़ भी,
लोग आप से तुम,
तुम से जान और जान से,
अनजान बन जाते है ।
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सहम सी गयी है ख्वाइशें,
ज़रूरतों ने शायद उन से,
रूठने के बजाय बस हल्के से मुस्कुरा देते है।
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दर्द की भी अपनी एक अदा है,
वो भी सहने वालों पर फ़िदा है।
आईने गुजरा हुआ वक्त नहीं बताया करते।
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वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते,
वो शहर भी तुम्हारा था, वो अदालत भी तुम्हारी थी।
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सामने आए मेरे, देखा मुझे, बात भी की,
मुस्कुराए भी, पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर,
कल का अख़बार था, बस देख लिया, रख भी दिया।
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ग़म ये के आखिरी वक़्त भी,
तू मेरे घर नहीं है।
❤ 2-line-gulzar-shayari ❤
इतनी सी ज़िन्दगी है पर ख्वाब बहुत है
जुर्म तो पता नहीं साहब पर इल्जाम बहुत है।
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती है
कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
❤ zindagi gulzar hai shayari ❤
आज फिर आप की कमी सी है।
दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले,
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है.
❤ zindagi-gulzar-shayari ❤
हम समझदार भी इतने हैं के,
उनका झूठ पकड़ लेते हैं,
और उनके दीवाने भी इतने के फिर भी ,
यकीन कर लेते है।
मेरी कोई खता तो साबित कर
जो बुरा हूं तो बुरा साबित कर
तुम्हें चाहा है कितना तू क्या जाने
चल मैं बेवफा ही सही
तू अपनी वफ़ा साबित कर।
❤ gul o gulzar ❤
आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हमने ऐतबार किया।
तेरी राहो में बारहा रुक कर,
हम ने अपना ही इंतज़ार किया।
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब,
ये गुनाह हमने एक बार किया।
मै सबका दिल रखता हूँ और,
सुनो मै भी एक दिल रखता हूँ।
❤ zindagi gulzar hai ❤
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते।
उन पलो में हम हो ना हो।
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आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हमने ऐतबार किया।
तेरी राहो में बारहा रुक कर,
हम ने अपना ही इंतज़ार किया।
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब,
ये गुनाह हमने एक बार किया।
गले लगाकर रोने लगे,
जाते वक्त जिसने कहा था
तुम्हारे जैसे हज़ार मिलेंगे।
❤ gulzar shayari on zindagi ❤
जैसे हम को पुकारता है कोई।
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।
❤ 2 line shayari ❤
बीच आसमां में था बात करते- करते ही,
चांद इस तरह बुझा जैसे फूंक से दिया,
देखो तुम इतनी लम्बी सांस मत लिया करो।
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मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी है और शौर भी है,
तूने देखा ही नहीं, आँखों में कुछ और भी है।
❤ gulzar ki selected shayari ❤
तुमको ग़म के ज़ज़्बातों से उभरेगा कौन,
ग़र हम भी मुक़र गए तो तुम्हें संभालेगा कौन!
अच्छी किताबें और अच्छे लोग
तुरंत समझ में नहीं आते हैं,
उन्हें पढना पड़ता हैं।
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कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
दोनों बरक़रार रह सके।
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वह जो सूरत पर सबकी हंसते है,
उनको तोहफे में एक आईना दीजिए।
जैसे हम को पुकारता है कोई।
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।
❤ life shayari-gulzar ❤
जिंदगी ये तेरी खरोंचे है मुझ पर,
या फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है…
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उम्र जाया कर दी लोगो ने
औरों में नुक्स निकालते निकालते
इतना खुद को तराशा होता
तो फरिश्ते बन जाते।
❤zindagi-gulzar-shayari ❤
कुछ अलग करना हो तो
भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं
मगर पहचान छिन लेती हैं।
आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है।
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वक्त की शाख से लम्हे नहीं तोड़ा करते।
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और खामोश हो जाऊं माना कि मौसम भी बदलते हैं,
के उम्र तुम पर हसीन लगती है !
एक सो सोलह चाँद की रातें ,
एक तुम्हारे कंधे का तिल।
गीली मेहँदी की खुश्बू झूठ मूठ के वादे,
सब याद करादो, सब भिजवा दो,
मेरा वो सामान लौटा दो।।
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आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
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तुमको ग़म के ज़ज़्बातों से उभरेगा कौन,
ग़र हम भी मुक़र गए तो तुम्हें संभालेगा कौन!
जो मिला हैं उसे सम्भालिये।
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सामने आए मेरे, देखा मुझे, बात भी की,
मुस्कुराए भी, पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर,
कल का अख़बार था, बस देख लिया, रख भी दिया।।
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी थी और चाँद भी था ,
हाँ मगर नींद नहीं।
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देर से गूंजते हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई।
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।
थक कर बहुत सो चुके हो,
अब हर दिन हँस कर जागना शुरू कर दो।
❤ zindagi gulzar hai quotes ❤
तुरंत समझ में नहीं आते हैं,
उन्हें पढना पड़ता हैं।
❤ gulzar quotes ❤
इसी बहाने तारीखों पर मुलाक़ात तो होगी..!!!
❤ 2 line gulzar shayari❤
जिंदगी छोटी नहीं होती है,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
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ख़बर सबको थी मेरे कच्चे मकान की,
फ़िर भी लोगो ने दुआओं में सिर्फ़ बरसात ही माँगी।
वो बात तो करते हैं मगर बातें नहीं करते।
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आज तुमने एहसास करा ही दिया कि ,
मैं कुछ भी नहीं हूँ तुम्हारे लिये.. !!
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया?
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बड़ी तलब लगी है आज मुस्कुराने की।
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मिला है बिन माँगे किसी और को वो ,
हमें तो इबादत के बाद भी इंतज़ार ही मिला है !
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।
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बदल जाओ वक़्त के साथ या वक़्त बदलना सीखो,
मजबूरियों को मत कोसो, हर हाल में चलना सीखो!
लोग आपकी कदर तभी करेंगे ,
जब आप उन्हें उन्हीं की तरह ,
अनदेखा करना सीख जाओगे।
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"ऐब" भी बहुत हैं मुझमें, और "खूबियां" भी,
ढूँढने वाले तूं सोच, तुझे चाहिए क्या मुझमें...
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सुनना चाहते हैं एक बार आवाज़ आपकी,
मगर बात करने का बहाना नहीं आता।
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अब थोड़ा अजनबी ही रहने दो मुझे,
कई बार मै खास से आम हुआ हूँ।
नफे और नुक्सान का.....
मासूम सी महोब्बत,
व्यपार हो गई...!!
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गुजरे इश्क की गलियों से और समझदार हो गए,
कुछ गालीब बने यहां तो कुछ गुलज़ार हो गए।
लफ़ज़ों के भी ज़ायके होते हैं,
परोसने से पहले चख भी लेना चाहिए..
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ख़्वाहिशें कुछ कुछ यूँ भी अधूरी रही,
पहले उम्र नही थी अब उम्र नही रही।
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
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कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ,
कुछ गालीब बने यहां तो कुछ गुलज़ार हो गए।
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होने लगा है हिसाब, नफे और नुक्सान का.....
मासूम सी महोब्बत, व्यपार हो गई...!!
अहमियत दी तो खुद को कोहिनूर मानने लगे,
काँच के टुकड़े भी क्या वहम पालने लगे...
अजीब सी दुनियाँ है ये साहब,
यहाँ लोग मिलते कम और एक दुसरे में झांकते ज्यादा है।
सावन में तो हर पत्ता हरा नजर आता है।
ये दोस्ती का गणित है साहब,
यहां दो में से एक गया तो कुछ नहीं बचता..
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में किस्सा हूँ अनसुलझा सा, अनसुलझी मेरी कहानी है,
कुछ मेरे टूटे सपने हैं, और कुछ उनकी मेहरबानी।
इन आंखों ने बहुत चेहरे देखे हैं।
दौलत नहीं, शोहरत नहीं, न वाह वाह चाहिए,
पर ज़िन्दगी को अमीर बना देते है।
हम दोनों एक ही
किताब में रहेंगे पर ।
हम दोनों के बीच कई
पन्नों का फासला होगा।
थोड़ा सा रफू करके देखिये ना,
फिर से नयी सी लगेगी,
ज़िन्दगी ही तो है.......
हमनें तो सिर्फ आपकी ओर देखा ,
और लोग वाह-वाह करने लगे...!!
ज़िन्दगी की दौड़ में तजुरबा कच्चा ही रह गया...।
हम सीख न पाये 'फरेब' और दील बच्चा ही रह गया...।
कुछ बातों के मतलब है
कुछ मतलब की बातें है
जब से फ़र्क समझा
ज़िन्दगी आसान हो गयी।
ख़त जो लिखा मैंने
इंसानियत के पते पर
डाकिया ही चल बसा
पता ढूंढ़ते-ढूंढते..
उम्र...
बिना रुके सफर कर रही है,
और हम...
ख़्वाहिशें लेकर वहीं खड़े हैं !!
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं,
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी तो नहीं.
दिल तो रोज कहता है मुझे कोई सहारा चाहिए,
फिर दिमाग कहता है क्या धोखा दोबारा चाहिए.
टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ,
में फिर से निखर जाना चाहता हूँ,
मानता हूँ मुश्किल हैं,
भूल जात है कि आधा चाँद भी खूबसूरत होता है.
जिस दिन उस पर,
दिल आया था,
उस दिन मौत आ जाती,
दिल लगाने की,
पर किस्मत में दर्द लिखा हो,
तो मोहब्बत कैसे न होती.
बस यही “दौड़” है,
इस दौर के इंसानो की,
तेरी दीवार से ऊँची मेरी दीवार बने.
हर कोई गैर हो जाता है,
उम्र भर किसी को अपना,
समझना एक वहम है.
ना मांग कुछ ज़माने से,
ये देकर फिर सुनाते है,
किया एहसान जो एक बार,
वो लाख बार जताते है.
मेरी आदत नहीं,
गहरी जड़ का बरगद हूँ,
दीवार पर ऊगा पीपल नहीं.
वो शख़्स जो कभी,
मेरा था ही नही,
उसने मुझे किसी और का भी
नही होने दिया.
तुझ से बिछड़ कर
कब ये हुआ कि मर गए,
तेरे दिन भी गुजर गए,
और मेरे दिन भी गुजर गए.
इश्क़ की तलाश में
क्यों निकलते हो तुम,
इश्क़ खुद तलाश लेता है
जाऊं तो मेरा नाम शबा लिखना,
बर्फ पड़े तो
बर्फ पे मेरा नाम दुआ लिखना.
दर्द की भी अपनी एक अदा है,
वो भी सहने वालों पर फ़िदा है.
तूने देखा ही नहीं, आँखों में कुछ और भी है.
नहीं बदल सकते हैं हम,
खुद को औरो के हिसाब से,
एक लिबास हमें भी दिया है,
समेट लो इन नाजुक पलो को
ना जाने ये लम्हे हो ना हो,
हो भी ये लम्हे क्या मालूम शामिल
उन पलो में हम हो ना हो.
दिल अब पहले सा मासूम नहीं रहा,
मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी है और शौर भी है,
तूने देखा ही नहीं, आँखों में कुछ और भी है.
नहीं बदल सकते हैं हम,
खुद को औरो के हिसाब से,
एक लिबास हमें भी दिया है,
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वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते,
वो शहर भी तुम्हारा था, वो अदालत भी तुम्हारी थी.
जो जाहिर करना पड़े,
वो दर्द कैसा,
और जो दर्द न समझ सके,
मोहल्ले की मोहब्बत का भी
अजीब फसाना है,
चार घर की दुरी है
और बिच में सारा जमाना है.
तुमसे मिली जो ज़िन्दगी हमने कभी बोइ नहीं,
बस्ती-बस्ती में कैद हर हस्ती हो गई,
आज फिर जिंदगी महंगी और
दौलत सस्ती हो गई.
किसने रास्ते मे चांद रखा था,
मुझको ठोकर लगी कैसे।
वक़्त पे पांव कब रखा हमने,
ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे।
आंख तो भर आयी थी पानी से,
आज फिर आप की कमी सी है,
दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले,
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है.
इतने बुरे नहीं थे हम
जितने इलज़ाम लगाये लोगो ने,
कुछ किस्मत ख़राब थी
खुशबू जैसे लोग मिले अफसाने में.
बेहिसाब हसरते ना पालिए,
सुनो मै भी एक दिल रखता हूँ.
मुझसे धोखा दिया नहीं जाता,
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता
जैसे एहसान उतारता है कोई
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है
काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है
वो उम्र कम कर रहा था मेरी
मैं साल अपने बढ़ा रहा था
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है
काई सी जम गई है आँखों पर
सारा मंज़र हरा सा रहता है
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है
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काई सी जम गई है आँखों पर
सारा मंज़र हरा सा रहता है
उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर
चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले
सहर न आई कई बार नींद से जागे
थी रात रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले
कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया
जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
कोई अटका हुआ है पल शायद
वक़्त में पड़ गया है बल शायद
आ रही है जो चाप क़दमों की
खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद
हम समझदार भी इतने हैं के
उनका झूठ पकड़ लेते हैं
और उनके दीवाने भी इतने के फिर भी
यकीन कर लेते है
दौलत नहीं शोहरत नहीं,न वाह चाहिए
“कैसे हो?” बस दो लफ़्जों की परवाह चाहिए
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती है
कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता
जब से तुम्हारे नाम की मिसरी होंठ से लगाई है
मीठा सा गम मीठी सी तन्हाई है।
मेरी कोई खता तो साबित कर
जो बुरा हूं तो बुरा साबित कर
तुम्हें चाहा है कितना तू क्या जाने
चल मैं बेवफा ही सही
तू अपनी वफ़ा साबित कर।
पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो,
कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी।
आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हमने ऐतबार किया।
तेरी राहो में बारहा रुक कर,
हम ने अपना ही इंतज़ार किया।।
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब,
ये गुनाह हमने एक बार किया।।।
मैंने मौत को देखा तो नहीं,
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी।
कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं,
जीना ही छोड़ देता हैं।।
सामने आए मेरे, देखा मुझे, बात भी की,
मुस्कुराए भी, पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर,
कल का अख़बार था, बस देख लिया, रख भी दिया।।
❤ 💕 ❤
किसने रास्ते मे चांद रखा था,
मुझको ठोकर लगी कैसे।
वक़्त पे पांव कब रखा हमने,
ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे।।
आंख तो भर आयी थी पानी से,
तेरी तस्वीर जल गयी कैसे।।।
देर से गूंजते हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई।
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।।
बीच आसमां में था बात करते- करते ही,
चांद इस तरह बुझा जैसे फूंक से दिया,
देखो तुम इतनी लम्बी सांस मत लिया करो।।
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते..
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी
बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है!
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