150+ Best Shayari Collection of Rahat Indori

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दोस्तों जैसा की आप जानते ही है की इश्क़ , मोहब्बत में शायरी का एक अहम स्थान है राहत इंदौरी वो कलाकार हैं जो अपने अंदाज में इस कला को बखूबी अंजाम देते थे। पेश है राहत इंदौरी शायरी हिंदी 4 लाइन, राहत इंदौरी की दर्द भरी शायरी, २ लाइन शायरी राहत इंदौरी, बेस्ट राहत इंदौरी शायरी, राहत इंदौरी लव शायरी। 

Rahat Indori Best Shayari Collection

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❤ राहत इंदौरी२ शायरी हिंदी 2 लाइन | Rahat Indori shayari hindi 2 line ❤

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किसने दस्तक दी है दिल पर कौन है ,
आप तो अंदर हैं, बाहर कौन है।
 
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इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए 
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए
 
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❤ राहत इंदौरी२ की दर्द भरी शायर ❤

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे 
दोस्तो दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
 
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अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ 
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ 
 
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❤ Shayari of Rahat Indori ❤

फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया 
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ
 
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आँख में पानी रखो, होंटों पे चिंगारी रखो 
ज़िंदा रहना है तो, तरकीबें बहुत सारी रखो
 
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❤ बेस्ट राहत इंदौरी शायरी ❤

रोज पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है
 
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अजनबी ख़्वाहिशें, सीने में दबा भी न सकूँ 
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे, कि उड़ा भी न सकूँ
 
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❤ राहत इंदौरी लव शायरी ❤

नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
 
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❤ राहत इंदौरी के 20 चुनिंदा शेर ❤

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दोस्ती जब किसी से की जाए 
दुश्मनों की भी राय ली जाए
 
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शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम 
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
 

❤ डॉ राहत इंदौरी के बेहतरीन शेर ❤

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मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग 
गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गए
 
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❤ Images for Rahat Indori Shayari ❤

ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे 
जो हो परदेश में वो किससे रजाई मांगे
 
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ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे 
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो
 
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❤ Best Shayari Of Dr Rahat Indori ❤

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है 
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
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वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा 
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया
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❤ Rahat Indori Shayari in Hindi ❤

फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर 
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए
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हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे 
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
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❤ Rahat Indori Shayari motivational ❤

मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ 
यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे
 
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बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर जो मेरी 
प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
 
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❤ राहत इंदौरी की दर्द भरी शायरी ❤

राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना 
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना
 
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उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो 
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
 
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❤ राहत इंदौरी लव शायरी ❤

ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर 
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे
 
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अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है 
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते
 
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❤ बेस्ट राहत इंदौरी शायरी ❤

ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन 
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो
 
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मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया, 
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए
 
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❤ Rahat Indori Shayari whatsapp status ❤

मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता 
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी
 
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सूरज सितारे चाँद मिरे सात में रहे 
जब तक तुम्हारे हात मिरे हात में रहे
 
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❤ Rahat Indori Romantic Shayari ❤

शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए 
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए
 
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बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए 
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
 
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❤ Rahat Indori sad Shayari ❤

घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया 
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
 
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बोतलें खोल कर तो पी बरसों 
आज दिल खोल कर भी पी जाए
 
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❤ Rahat Indori motivational Shayari ❤

मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी 
दुनिया को समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे
 
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अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं, शहरों में फ़साने मेरे।
 
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❤ Rahat Indori ki dard bhari Shayari ❤

फैसला जो कुछ भी हो, मंज़ूर होना चाहिए,
जंग हो या इश्क़ हो, भरपूर होना चाहिए।
 

❤ Best Shayari Collection of Rahat Indori ❤

बहुत ग़ुरूर है... दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ।
 
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❤ Rahat Indori ke desh bhakti Shayari ❤

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लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के सँभलते क्यूँ हैं,
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं।
 
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मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी।
 
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❤ Rahat Indori ki Urdu Shayari ❤

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।
 
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किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है,
आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है।
 
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❤ Rahat Indori Dilkash Shayari ❤

बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए,
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए।
 
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शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम,
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे।
 
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❤ Rahat Indori 2 Line Shayari ❤

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।
 
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मेरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे,
मेरे भाई मेरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले।
 
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❤ Best Shayari Of Dr Rahat Indori ❤

न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा,
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा।
 
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उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो,
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है।
 
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❤ Dr Rahat Indori ki selected Shayari ❤

कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे,
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे।
 
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आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर,
लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के।
 
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❤ राहत इंदौरी२ शायरी हिंदी 4 लाइन | Rahat Indori shayari hindi 4 line ❤

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❤ Dr Rahat Indori ki Chuninda Shayari ❤

काम सब ग़ैर-ज़रूरी हैं जो सब करते हैं,
और हम कुछ नहीं करते हैं ग़ज़ब करते हैं,
आप की नज़रों में सूरज की है जितनी अज़्मत,
हम चराग़ों का भी उतना ही अदब करते हैं।
 
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अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।
 
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❤ Dr Rahat Indori Romantic Shayari ❤

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
 
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हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।
 
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❤ Images for Dr Rahat Indori Shayari ❤

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है।
 
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अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।
 
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❤ राहत इंदौरी के चुनिंदा शेर ❤

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
 
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कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएं की तरह पर्बतों से उड़ते हैं,
ये कैंचियां हमें उड़ने से खाक रोकेंगी,
के हम परों से नहीं हौंसलों से उड़ते हैं।
 
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❤ बेस्ट राहत इंदौरी शायरी ❤

चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं,
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश,
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।
 
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अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
 
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❤ बेस्ट राहत इंदौरी शायरी ❤

विश्वास बन के लोग ज़िन्दगी में आते है,
ख्वाब बन के आँखों में समा जाते है,
पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है,
फिर न जाने क्यों बदल जाते है।
 
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सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें,
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें।
 
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मेरी सांसों में समाया भी बहुत लगता है,
और वही शख्स पराया भी बहुत लगता है,
उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन
आने जाने में किराया भी बहुत लगता है।
 
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❤ राहत इंदौरी की दर्द भरी शायरी ❤

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।
 
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ये सहारा जो नहीं हो तो परेशान हो जाएँ,
मुश्किलें जान ही लेलें अगर आसान हो जाएँ,
ये जो कुछ लोग फरिश्तों से बने फिरते हैं,
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएँ तो इंसान हो जाएँ।
 
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❤ Best COllection of Dr Rahat Indori Shayari ❤

फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए,
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए,
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए,
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए।
 
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तुम ही सनम हो, तुम ही खुदा हो,
वफा भी तुम हो तुम, तुम ही जफा हो,
सितम करो तो मिसाल कर दो,
करम करो तो कमाल कर दो।
 
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❤ राहत इंदौरी की दर्द भरी शायरी ❤

धनक है, रंग है, एहसास है की खुशबू है,
चमक है, नूर है, मुस्कान है के आँसू है,
मैं नाम क्या दूं उजालों की इन लकीरों को
खनक है, रक्स है, आवाज़ है की जादू है।
 
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प्यार के उजाले में गम का अँधेरा क्यों है,
जिसको हम चाहे वही रुलाता क्यों है,
मेरे रब्बा अगर वो मेरा नसीब नहीं तो,
ऐसे लोगो से हमे मिलता क्यों है।
 
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मैं एक गहरी ख़ामोशी हूँ आ झिंझोड़ मुझे,
मेरे हिसार में पत्थर-सा गिर के तोड़ मुझे,
बिखर सके तो बिखर जा मेरी तरह तू भी,
मैं तुझको जितना समेटूँ तू उतना जोड़ मुझे।
 
💕 (nextPage)

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जहाँ से गुजरो धुआं बिछा दो,
जहाँ भी पहुंचो धमाल कर दो,
तुम्हें सियासत ने हक दिया है,
हरी जमीनों को लाल कर दो।
 
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जो छेड़ दे कोई नगमा तो खिल उठें तारे,
हवा में उड़ने लगी रोशनी के फव्वारे,
आप सुनते ही नजरों में तैर जाते हैं,
दुआएं करते हुए मस्जिदों के मीनारें।
 
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अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।
 
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शहरों में तो बारुदों का मौसम है,
गांव चलो अमरूदों का मौसम है,
सूख चुके हैं सारे फूल फरिश्तों के,
बागों में नमरूदों का मौसम है।
 
💕
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
 
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तुम्हें किसी की कहाँ है परवाह,
तुम्हारे वादे का क्या भरोसा,
जो पल की कह दो तो कल बना दो,
जो कल की कह दो तो साल कर दो।
 
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जा के ये कह दो कोई शोलो से, चिंगारी से
फूल इस बार खिले है बड़ी तय्यारी से,
बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए
हमने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से।
 
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कम नहीं हैं मुझे हमदमों से,
मेरा याराना है इन गमों से,
मैं खुशी को अगर मुंह लगा लूं,
मेरे यारों का दिल टूट जाए।
 
💕
इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए,
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए,
फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर,
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए।
 
💕
यही ईमान लिखते हैं, यही ईमान पढ़ते हैं,
हमें कुछ और मत पढवाओ, हम कुरान पढ़ते हैं,
यहीं के सारे मंजर हैं, यहीं के सारे मौसम हैं,
वो अंधे हैं, जो इन आँखों में पाकिस्तान पढ़ते हैं।
 
💕
दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं,
सब अपने चहेरों पर, दोहरी नकाब रखते हैं,
हमें चराग समझ कर भुझा ना पाओगे,
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं।
 
💕
जा के ये कह दे कोई शोलों से चिंगारी से इश्क़ है
फूल इसबार खिलेगी बड़ी तैयारी है
मुदात्तो क बाद यु तब्दिल हुआ है मौसम
जैसे छुटकारा मिली हो बीमारी से।
 
💕
आग के पास कभी मोम को लाकर देखूँ,
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूँ,
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है
सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूँ।
 
💕
नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं,
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं,
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते,
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं।
 
💕 (nextPage)

💕

तेरी हर बात ​मोहब्बत में गँवारा करके​,
​दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके​,
​मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी​,​​
​तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
 
💕
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं,
यह क्या हमें उड़ने से खाक रोकेंगे
कि हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।
 
💕
मेरी ख्वाहिश है कि आंगन में न दीवार उठे,
मेरे भाई, मेरे हिस्से की जमीं तू रख ले
कभी दिमाग, कभी दिल, कभी नजर में रहो,
ये सब तुम्हारे घर हैं, किसी भी घर में रहो।
 
💕
साँसों की सीडियों से उतर आई जिंदगी,
बुझते हुए दिए की तरह जल रहे हैं हम,
उम्रों की धुप, जिस्म का दरिया सुखा गई,
हैं हम भी आफताब, मगर ढल रहे हैं हम।
 
💕
तन्हाई ले जाती है जहाँ तक याद तुम्हारी,
वही से शुरू होती है ज़िन्दगी हमारी,
नहीं सोचा था चाहेंगे हम तुम्हे इस कदर,
पर अब तो बन गए हो तुम किस्मत हमारी।
 
💕
सफ़र की हद है वहाँ तक की कुछ निशान रहे,
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे,
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल,
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे।
 
💕
है सादगी में अगर यह आलम,
के जैसे बिजली चमक रही है,
जो बन संवर के सड़क पे निकलो,
तो शहर भर में धमाल कर दो।
 
💕
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।
 
💕
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं,
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं,
जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं खामोशी,
जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफान कहते हैं।
 
💕
साँसे हैं हवा दी है, मोहब्बत है वफ़ा है,
यह फैसला मुश्किल है कि हम किसके लिए हैं,
गुस्ताख ना समझो तो मुझे इतना बता दो,
अपनों पर सितम है तो करम किसके लिए हैं।
 
💕
ये दुनिया है इधर जाने का नईं,
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर,
मगर हद से गुजर जाने का नईं।
 
💕
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं,
ये केचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी,
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।
 
💕
आग के पास कभी मोम को लाकर देखूँ,
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूँ,
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है,
सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूँ।
 
💕
ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था,
मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था।
 
💕 (nextPage)

💕

सरहदों पर तनाव हे क्या,
ज़रा पता तो करो चुनाव हैं क्या,
शहरों में तो बारूदो का मौसम हैं,
गाँव चलों अमरूदो का मौसम हैं।
 
💕
कही अकेले में मिलकर झंझोड़ दूँगा उसे,
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे,
मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का,
इरादा मैंने किया था की छोड़ दूँगा उसे।
 
💕
छू गया जब कभी ख़याल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा,
कल तेरा जिक्र छिड़ गया था घर में,
और घर देर तक महकता रहा।
 
💕
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं,
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं,
उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो,
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं।
 
💕
शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए,
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए।
 
💕
लवे दीयों की हवा में उछालते रहना,
गुलो के रंग पे तेजाब डालते रहना,
में नूर बन के ज़माने में फ़ैल जाऊँगा,
तुम आफताब में कीड़े निकालते रहना।
 
💕
जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं,
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं,
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का,
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं।
 
💕
बुलाती है मगर जाने का नहीं 
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर 
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं 
ज़मीं भी सर पे रखनी हो तो रखो 
चले हो तो ठहर जाने का नहीं 
सितारे नोच कर ले जाऊंगा 
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं 
वबा फैली हुई है हर तरफ 
अभी माहौल मर जाने का नहीं 
वो गर्दन नापता है नाप ले 
मगर जालिम से डर जाने का नहीं
 
💕
फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए 
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए 
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए 
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए
 
💕
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते 
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते 
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है 
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते
 
💕
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं 
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं 
उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो 
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं
 
💕
अब जो बाज़ार में रखे हो तो हैरत क्या है 
जो भी देखेगा वो पूछेगा की कीमत क्या है
एक ही बर्थ पे दो साये सफर करते रहे 
मैंने कल रात यह जाना है कि जन्नत क्या है
 
💕 (nextPage)

💕

आग के पास कभी मोम को लाकर देखूं 
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूं 
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है 
सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूं
 
💕
इन्तेज़ामात नए सिरे से संभाले जाएँ 
जितने कमजर्फ हैं महफ़िल से निकाले जाएँ 
मेरा घर आग की लपटों में छुपा हैं 
लेकिन जब मज़ा हैं, तेरे आँगन में उजाला जाएँ
 
💕
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था 
मैं बच भी जाता तो मरने वाला था 
मेरा नसीब मेरे हाथ कट गए 
वरना में तेरी मांग में सिन्दूर भरने वाला था
 
💕
जुबा तो खोल, नज़र तो मिला,
जवाब तो दे में कितनी बार लुटा हु, 
मुझे हिसाब तो दे तेरे बदन की लिखावट में हैं 
उतार चढाव में तुझको कैसे पढूंगा, मुझे किताब तो दे
 
💕
इस दुनिया ने मेरी वफ़ा का कितना ऊँचा मोल दिया 
बातों के तेजाब में, मेरे मन का अमृत घोल दिया 
जब भी कोई इनाम मिला हैं, मेरा नाम तक भूल गए 
जब भी कोई इलज़ाम लगा हैं, मुझ पर लाकर ढोल दिया
 
💕
तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके
दिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा करके
आसमानो की तरफ फेक दिया है मैंने
चंद मिट्टी के चिरागों को सितारा करके
 
💕
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं
जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते है ख़ामोशी
जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफान कहते है
 
💕
गुलाब ख़्वाब दवा ज़हर जाम क्या-क्या है
मैं आ गया हूँ बता इन्तज़ाम क्या-क्या है
फक़ीर शेख कलन्दर इमाम क्या-क्या है
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या है
अमीर-ए-शहर के कुछ कारोबार याद आए
मैँ रात सोच रहा था हराम क्या-क्या है
 
💕
एक चिन्गारी नज़र आई थी बस्ती मेँ उसे
वो अलग हट गया आँधी को इशारा करके
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भंवर है जिसकी
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके
 
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जो ये दीवार का सुराख है साज़िश का हिस्सा है
मगर हम इसको अपने घर का रोशनदान कहते हैं
ये ख्वाहिश दो निवालों की हमें बर्तन की हाजत क्या
फ़क़ीर अपनी हथेली को ही दस्तरख्वान कहते हैं
मेरे अंदर से एक-एक करके सब कुछ हो गया रुखसत
मगर एक चीज़ बाकी है जिसे ईमान कहते हैं
 
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सिर्फ खंजर ही नहीं आँखों में पानी चाहिए,
ऐ खुदा दुश्मन भी मुझको खानदानी चाहिए
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिआ,
एक समन्दर कह रहा था मुझको पानी चाहिए
सिर्फ खबरों की ज़मीने देके मत बहलाइये
राजधानी दी थी हमने, राजधानी चाहिए
 
आते जाते है कई रंग मेरे चेहरे पर
लोग लेते है मज़ा जिक्र तुम्हारा करके
मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की ज़रा आँख लगे
चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके
 
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अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है,
ये सब धुँआ है कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में,
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है
 
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हमारे मुह से जो निकले वही सदाकत है,
हमरे मुह में तुम्हारी जबान थोड़ी है
मै जानता हूँ कि दुश्मन भी कम नहीं है,
लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है
 
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आज शाहिबे मसनद है कल नहीं होंगे,
किरायेदार है जात्ती मकान थोड़ी है
सभी का खून है शामिल इस मिट्टी में,
किसे के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है

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